Sunday, December 30, 2012

aaj ki bat

आज की बात ........कुछ न्यूज़ चैनेल  पर अजीब-अजीब तरह के चित्र बने हुए आ रहे हैं जैसे एक रोटी हुई लड़की,मुहँ छुपाती हुई लड़की,बेबसी की हालत में लड़की .........मैं पूछना चाहती हूँ की ये सब क्या है?
क्या बताना चाहते हैं लोगों को ..........मुझे लगता है लोगों को अभी वर्षों लगेंगे इस मानसिकता से उबरने में .........मुहं तो समाज को छुपाना चाहिए  हम में और समाज में हिम्मत ही नहीं हैं की हम इस तरह की घटना के शिकार हुए लोगों से ऑंखें मिला सकें .........शर्म हमारी नज़रों में होना चाहिए न की उन लोगों की आँखों में .............
                       पता है मेरी आवाज़ उन लोगों के कानों तक नहीं पहुचेगी लेकिन फिर भी अपील करती हूँ प्लीज ये सब बंद कीजिए ...........

Saturday, December 29, 2012

shradhanjali

एक थी लड़की .........हंसती ..खिलखिलाती सी  ....जाने कहाँ चली गई इस बेरहम दुनियां को छोड़कर पीछे छोड़ गई अथाह सवाल ....दुःख ...निराशा और हम जैसे आम लोगों के लिए अनंत असुरक्षा की भावना ...
काश ऐ सा  होता की वो  उसदिन घर से बाहर  ही नहीं निकलती तो आज एक हंसती खेलती दुनियां गुलज़ार  होती .........पर ये सब सोंचना अब बेमानी है।।।
लेकिन अब क्या .....क्या अब सब ठीक हो जायेगा ? क्या अब कोई हमारी बेटियों के उपर कोई बुरी नज़र नहीं डालेगा ?
दुःख की बात तो ये है की किसी भी पार्टी का कोई भी शक्स ये विश्वास नहीं दिला  प़ा  रहा की अब ऐ सा नहीं होगा .........उनकी गोल मोल बातें जारी है
ऑंखें नम  हैं ........दिल बहुत दुखी है नम आँखों से दिल से एक ही बात कहना चाहती हूँ ........नफरत की दुनियां को छोड़ कर प्यार की दुनियां में खुश रहना मेरे ..................................................

Tuesday, December 25, 2012

jara sonche

हंगामा  है क्यूँ बरपा ..........जब से पुलिस कांस्टेबल का देहांत हुआ है तब से सारे  न्यूज़ चैनेल के सुर ही बदल गए हैं .नजाने कितने ही आम लोग हर दिन हर वक्त मौत के मुंह असमय ही समा जाते हैं लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता ..........तब किसीको दर्द नहीं होता जब कोई बड़ा हादसा न हो किसीको की नींद नहीं खुलती जैसे आम आदमी तो शायद इसी तरह कीड़े मकोड़े की तरह मरने के लिए ही पैदा होते हैं।
मौत हमेशा दुखदायी होती है लेकिन हमारे देश में कुछ ही लोगों की मौत दुखदायी होती है .........एसा क्यूँ?
पुलिस तो यहाँ भी नाकाम रही की छात्र और असामाजिक तत्व में भेद कर सकें ........

Thursday, December 20, 2012

dard

सब तरफ यही शोर है की जितने भी लोग रेप केस में शामिल थे वो सरे बिहारी थे ........मैं ये जानना चाहती हूँ की हम इस तरह की बातें कर के क्या साबित करना चाहते हैं ? हम आखिर कबतक जात ,प्रान्त आदि में फसे रहेंगे ?
                  मुझे लगता है इस तरह की बातें वाही लोग फैला रहे हैं जिन्हें इस घटना की संवेदनशीलता से कोई सरोकार ही नहीं है .........इस तरह के लोगों से मेरा अनुरोध है की प्लीज् अगर आप कुछ कर नहीं सकते तो कम से कम अपने जुबान पर तो काबू रख सकते हैं ........सनसनी फ़ैलाने के बहुत से मौके मिलेंगे तब अपनी हसरत पूरी कर लीजियेगा .

Tuesday, December 18, 2012

ek maa ki vytha.....

अगले  जन्म  मुझे  बिटिया  ना दीजो
शायद आज सभी माओं का दिल यही दुआ कर रहा होगा .........
हमारी नाजोंसे
 पली बेटियों के उपर जब समाज के दरिंदों की वक्र दृष्टी  पड़ जाती है तो एक माँ-बाप का

 ही नहीं ए
क समाज एक दुनियां का सीना भी छलनी हो जाता है .                        
                         हम अपनी बेटियों को ही सीख देते हैं .......एसे उठो ,एसे बेठो ,ये पहनो ,ये मत पहनो .हम थोड़ी सी सीख ,थोड़ी सी संवेदना अपने बेटों को क्यों नहीं सीखा पाते ......
मैं भी आज भगवान से यही प्रार्थना कर रही हूँ की ......भगवन मुझे अगले जन्म निसंतान ही रखना पर मुझे बिटिया न देना ........क्योंकि मैं उसे मानसिक और शारीरिक रूप से छलनी और टुटा हुआ नहीं  देख सकती .
आज किसी की बेटी  अस्पताल में  वेंटिलेटर पर है ...... इतना गुस्सा, इतना डर, इतना  भय महसूस हो रहा है की कह नहीं सकती।
 सिर्फ  पाँच  मिनट ही मेरी मेरी बेटी की स्कुल बस लेट हो गई तो मन में  अजीब -अजीब  ख्याल आने लगे .
इस बेखौफ दुनिया में किस से भीख मांगू अपनी बेटी की सुरछा  की .......कोई जवाब दे सकता है?.