Tuesday, December 25, 2012

jara sonche

हंगामा  है क्यूँ बरपा ..........जब से पुलिस कांस्टेबल का देहांत हुआ है तब से सारे  न्यूज़ चैनेल के सुर ही बदल गए हैं .नजाने कितने ही आम लोग हर दिन हर वक्त मौत के मुंह असमय ही समा जाते हैं लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता ..........तब किसीको दर्द नहीं होता जब कोई बड़ा हादसा न हो किसीको की नींद नहीं खुलती जैसे आम आदमी तो शायद इसी तरह कीड़े मकोड़े की तरह मरने के लिए ही पैदा होते हैं।
मौत हमेशा दुखदायी होती है लेकिन हमारे देश में कुछ ही लोगों की मौत दुखदायी होती है .........एसा क्यूँ?
पुलिस तो यहाँ भी नाकाम रही की छात्र और असामाजिक तत्व में भेद कर सकें ........

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