कहते है कि समाज में लोग लड़का और लड़की में
भेद -भाव करते हैं .......लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि क्या हम खुद ही इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं ? हमने ही बच्चों के कोमल मन में कुछ नकारत्मक सवालों के बीज नहीं बोये हैं ?
हमारी एक मित्र हैं जिनकी बेटी जन्मदिन के अवसर पर किसी ने उसे किचन सेट गिफ्ट में दिया ........इस पर हमारी मित्र थोड़ी नाराज़ हो गईं औ
र कहने लगीं की लोग लोग लडकियों को अक्सर किचन सेट या डॉल वैगरह गिफ्ट में देते हैं जो मुझे अच्छा नहीं लगता ............मुझे इस सोंच पर बहुत हैरानी हुई क्योंकि वह एक बहुत ही पढ़ी लिखी प्रगतिशील विचारों वाली महिला हैं .................मुझे समझ नहीं आता की कोई भी काम कोई भी खेल या जिंदगी का कोई भी छेत्र कैसे निर्धारित कर सकता की ये काम प्रथम दर्जे का है और ये काम दोयम दर्जे का है ??......
ये सौ प्रतिशत हमारी सोंच पर निर्भर करता है ........मैं एक हाउस वाइफ हूँ लेकिन मैंने कभी भी अपने आप को दोयम दर्जे का नहीं समझा अगर हम अपने आपको को ही अपनी नजरों में
नहीं उठा सकते तो फिर दुसरे की नजर से सम्मान पाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं ............
हमने खुद ही ये निर्धारित कर रखा है कि लड़कों द्वारा किया जाने वाला हर काम प्रथम दर्जे का है और घर -गृहस्थी के सारे काम दोयम दर्जे का क्योंकि ऐसा मानना है की इन सब कामों को करने के लिये किसी तरह की ज्ञान या रचनात्मकता की आवश्यकता नहीं है ............
मुझे हंसी आती है इस तरह की सोंच रखने वाले सो कॉल्ड इंटेलेक्चुअल के उपर ................ये क्या जाने कि होम मनाग्मेंट नाम की भी एक चीज़ होती है इसमें कहीं ज्यादा ज्ञान और रचनात्मकता की आवश्यकता की जरूरत होती है ...........इसलिए प्लीज अपनी सोंच को जरा उड़ान भरने दें ,पंख खोलने दें फिर हर काम
भेद -भाव करते हैं .......लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि क्या हम खुद ही इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं ? हमने ही बच्चों के कोमल मन में कुछ नकारत्मक सवालों के बीज नहीं बोये हैं ?
हमारी एक मित्र हैं जिनकी बेटी जन्मदिन के अवसर पर किसी ने उसे किचन सेट गिफ्ट में दिया ........इस पर हमारी मित्र थोड़ी नाराज़ हो गईं औ
र कहने लगीं की लोग लोग लडकियों को अक्सर किचन सेट या डॉल वैगरह गिफ्ट में देते हैं जो मुझे अच्छा नहीं लगता ............मुझे इस सोंच पर बहुत हैरानी हुई क्योंकि वह एक बहुत ही पढ़ी लिखी प्रगतिशील विचारों वाली महिला हैं .................मुझे समझ नहीं आता की कोई भी काम कोई भी खेल या जिंदगी का कोई भी छेत्र कैसे निर्धारित कर सकता की ये काम प्रथम दर्जे का है और ये काम दोयम दर्जे का है ??......
ये सौ प्रतिशत हमारी सोंच पर निर्भर करता है ........मैं एक हाउस वाइफ हूँ लेकिन मैंने कभी भी अपने आप को दोयम दर्जे का नहीं समझा अगर हम अपने आपको को ही अपनी नजरों में
नहीं उठा सकते तो फिर दुसरे की नजर से सम्मान पाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं ............
हमने खुद ही ये निर्धारित कर रखा है कि लड़कों द्वारा किया जाने वाला हर काम प्रथम दर्जे का है और घर -गृहस्थी के सारे काम दोयम दर्जे का क्योंकि ऐसा मानना है की इन सब कामों को करने के लिये किसी तरह की ज्ञान या रचनात्मकता की आवश्यकता नहीं है ............
मुझे हंसी आती है इस तरह की सोंच रखने वाले सो कॉल्ड इंटेलेक्चुअल के उपर ................ये क्या जाने कि होम मनाग्मेंट नाम की भी एक चीज़ होती है इसमें कहीं ज्यादा ज्ञान और रचनात्मकता की आवश्यकता की जरूरत होती है ...........इसलिए प्लीज अपनी सोंच को जरा उड़ान भरने दें ,पंख खोलने दें फिर हर काम
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