Monday, January 14, 2013

माँ एक शब्द ,एक एहसास ,एक सुरक्षा .........
हर दिल में पलने वाला एक कसक 
खो देने का डर ,बिछुड़ जाने खौफ 
आत्मबल का खज़ाना .........और न जाने क्या-क्या ..........आज अचानक बैठे -बैठे आँखें भर आई .........ख्याल आया कितने दिन हो गए माँ से बात ही नहीं किया ,उनका फ़ोन भी आया था तो मैंने ये कह कर जल्दी से रख दिया कि अभी बिज़ी हूँ बाद में बात करती हूँ ..........
                हम अक्सर इस तरह की गलतियाँ करते हैं जब ये हमारे बीच होते हैं तो हम जाने अनजाने  इनकी कद्र नहीं करते ...........हमारे माता -पिता ,हमारे सास -ससुर जो सिर्फ हमारी ख़ुशी चाहते हैं हम उन्हें कितनी आसानी से भूल जाते हैं ............जब हमारे बच्चे हमसे इस तरह का व्यवहार करते हैं तब हमें बहुत दुःख होता है .....
                  

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