Wednesday, February 18, 2015

akhand jyoti se

एक संत प्रवचन दे रहे थे , सुनने आये श्रद्धालुओं ने उनके सम्मुख एक समस्या रखी। वे बोले " महाराज ! हमारे मन में कइयों के प्रति द्वेष है ,उसे कैसे निकालें ?" संत बोले " आपलोग कल ऐसा करना कि अपने साथ एक थैला भर कर आलू लाना और हर आलू पर उस व्यक्ति का नाम लिखना ,जिससे आपका द्वेष हो। " अगले दिन सभी श्रद्धालु अपने साथ आलू भर  थैला लेकर आये सबने अनेक आलूओं पर व्यक्तियों के नाम लिखे हुए थे ,जिसे उनको द्वेष था। संत बोले --- " अब ऐसा करना कि इस थाले को रात दिन अपने साथ रखना ,छोड़ना नहीं। "
                    सत्संग में आएं सभी श्रद्धालुओं ने इस निर्देश का पालन प्रारम्भ कर दिया। दो - तीन दिन तो विशेष समस्या नहीं हुई ,परन्तु सप्ताह अंत होते तक आलूओं  में से भयंकर दुर्गन्ध आने लगी। अब सब लोग चिंतित हुए और संत के सम्मुख जाकर उनसे बोले --- " महाराज! आपने भी ये कैसा विचित्र कार्य हमें करने को  दिया है। इन बदबूदार आलूओं को हमें कब तक रखना है ? संत बोले ----" आपलोग ये सोंचों कि जब इन नाम लिखे आलूओं को हफ्ते भर साथ साथ रखने में इतनी दुर्गन्ध उठती है तो आप जब इन व्यक्तियों के नामों ईर्ष्या और द्वेष के साथ अपने अंतर्मन में रखते होंगे तो आपके चित्त से कितनी दुर्गन्ध उठती होगी ! जब भावनाएं कलुषित होंगी तो मन को भारी ही बनाएंगी ,हल्का नहीं। " संत द्वारा दिए गए कार्य का उद्देश्य समझ में आ जाने पर सबको जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण सीख मिल गई। 

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