घटना रूस के साइबेरिया क्षेत्र की है। बहुत वर्षों पहले वहां एक छोटा सा गाँव हुआ करता था ,जो अपनी अनूठी परंपरा के लिया विख्यात था। परंपरा यह थी कि गांववाले अपनी जमीन बिना किसी मूल्य के किसी भी आगंतुक को दे दिया करते थे ,यदि वह उनके द्वारा रखी गई शर्तों को पूर्ण कर दें। यह बात अलग थी कि वे शर्त क्या रखते थे ,इसका पता किसी को भी नहीं लग पाया था। ऐसी ही किववदंतियों को सुनकर एक किसान उस गांव में पहुंचा। उसने गंवालों से जब इस परंपरा के विषय में पूछा तो गाँवलों ने इसकी पुष्टि की और उअसे गांव के प्रधान के पास ले गए। गांव का प्रधान उसे देखकर जोर से हंसा और बोला " लो एक और गधा आ गया। " किसान सुनकर आश्चर्यचकित हुआ और पूछने लगा " आप हँसे क्यों ?" गाँव का प्रधान बोला -" हंसने की बात यह है कि यहाँ तो लगभग हर दिन ही कोई न कोई इस शर्त का पता लगाने आता है , पर आजतक उसको जीत कर कोई वापस नहीं लौटा। " किसान ने पूछा - " शर्त क्या है?" ग्राम प्रधान बोला -" सारी जमीन तुम्हें निःशुल्क उपलब्ध है। इसके लिए मात्र एक शर्त है कि तुम यहाँ खींची रेखा से सूर्योदय से दौड़ाना शुरू करोगे और सूर्यास्त होने तक जीतनी जमीन नापकर तुम इसी रेखा तक आ जाओगे ,उतनी जमीन तुम्हारी हो जाएगी ,पर यदि नहीं आ पाये तो तुम्हें आजन्म गुलाम बनकर यहीं रहना पड़ेगा। "
किसान को लगा यह तो बड़ी ही आसान शर्त है और उसने तुरंत हाँ भर दी। सूर्योदय पर उसने भागना शुरू किया और दोपहर होने तक उसने सात - आठ मील जमीन नाप ली तो उसका लालच बढ़ने लगा। उसने साथ लाया भोजन और पानी वहीँ छोड़ा और सोंचा कि एक दिन नहीं भी खाया तो क्या ,आज ज्यादा से ज्यादा जमीन नाप लेते हैं। भागते - भागते दोपहर के तीन बज गए , पर ज्यादा जमीन का लालच उसे दूसरी तरफ खींचे जाता था। मन मारकर वह वापस लौटा तो खींची रेखा से आधा मील दूर जमीन पर गिर पड़ा। ग्राम प्रधान वहीँ पास खड़ा था और उससे बोला "शर्त आसान है ,परन्तु मनुष्य के लालच का अंत नहीं। इसलिए आजतक इस शर्त को पूरा करने वाला कोई नहीं मिला और जितने गांव वाले दिखाई पड़ते हैं ,ये सब शर्त हारे हुए गुलाम ही हैं। ...."
किसान को लगा यह तो बड़ी ही आसान शर्त है और उसने तुरंत हाँ भर दी। सूर्योदय पर उसने भागना शुरू किया और दोपहर होने तक उसने सात - आठ मील जमीन नाप ली तो उसका लालच बढ़ने लगा। उसने साथ लाया भोजन और पानी वहीँ छोड़ा और सोंचा कि एक दिन नहीं भी खाया तो क्या ,आज ज्यादा से ज्यादा जमीन नाप लेते हैं। भागते - भागते दोपहर के तीन बज गए , पर ज्यादा जमीन का लालच उसे दूसरी तरफ खींचे जाता था। मन मारकर वह वापस लौटा तो खींची रेखा से आधा मील दूर जमीन पर गिर पड़ा। ग्राम प्रधान वहीँ पास खड़ा था और उससे बोला "शर्त आसान है ,परन्तु मनुष्य के लालच का अंत नहीं। इसलिए आजतक इस शर्त को पूरा करने वाला कोई नहीं मिला और जितने गांव वाले दिखाई पड़ते हैं ,ये सब शर्त हारे हुए गुलाम ही हैं। ...."
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